मेरा नाम राहुल है, और मैं 24 साल का एक जवान, गठीला लड़का हूँ। मेरा 8 इंच का मोटा, काला लंड किसी भी लड़की की चूत में आग लगा देता है। मेरी मौसी की लड़की, कविता, 20 साल की एक हॉट, चुदास भरी लड़की है। उसका गोरा, भरा हुआ बदन, बड़ी-बड़ी चूचियाँ, गोल गांड, और पतली कमर मेरे लंड को हर बार तड़पा देता था। उसके रसीले होंठ, गुलाबी निप्पल, और गीली चूत चुदाई का खुला न्योता देते थे। उसकी मादक आँखें और मटकती चाल मुझे पागल कर देती थी। कविता की चुदास भरी हरकतें मेरे लंड में आग लगा देती थीं, और मैं हमेशा उसकी चूत को चोदने के लिए बेताब रहता था। ये कहानी उस रात की है, जब मैंने कविता को उसके घर में चोदकर उसकी चूत को अपने लंड से फाड़ दिया।
कविता और मैं बचपन से एक-दूसरे को जानते थे। हम चचेरे भाई-बहन थे, लेकिन मेरी नजरें हमेशा उसकी चूचियों और गांड पर रहती थीं। जब वह कॉलेज में आई, उसका बदन और भी मादक हो गया। एक बार, जब मैं मौसी के घर गया, कविता ने एक टाइट, लाल टॉप और शॉर्ट स्कर्ट पहनी थी, जो उसकी चूचियों और गांड को पूरी तरह उजागर कर रही थी। उसकी स्कर्ट इतनी छोटी थी कि उसकी नंगी जाँघें चमक रही थीं, और उसके सख्त निप्पल टॉप के ऊपर से साफ दिख रहे थे। मैंने उसकी गांड को सहलाते हुए कहा, “कविता, तेरी चूत आज मेरे लंड की भूखी लग रही है।” उसने मादक मुस्कान दी और बोली, “राहुल, मेरी चूत तेरे मोटे लंड के लिए हर वक्त गीली रहती है। आज मुझे चोद दे।” उसकी बात ने मेरे लंड को तना दिया।
उस रात, मौसी और मामा किसी रिश्तेदार के घर गए थे, और कविता और मैं घर पर अकेले थे। मैंने मौके का फायदा उठाने का फैसला किया। मैंने कविता को उसके कमरे में बुलाया। उसने एक पतली, काली नाइटी पहनी थी, जिसमें उसके सख्त निप्पल और गीली चूत साफ दिख रहे थे। मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और उसके रसीले होंठों पर एक गहरा, अश्लील चुंबन छोड़ दिया। मेरी जीभ उसके मुँह में थी, और मेरा मोटा लंड उसकी जाँघों से टकरा रहा था। “राहुल, मेरी चूत को चोद… मुझे तेरे लंड की सैर करा,” कविता ने सिसकारी के साथ कहा। मैंने उसकी नाइटी फाड़ दी, और उसकी बड़ी, नंगी चूचियाँ मेरे सामने उछल पड़ीं। उसके निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और उसकी चिकनी, गीली चूत और गोल गांड मेरे सामने नंगी थी। उसका चूत का रस उसकी जाँघों पर टपक रहा था।
मैंने कविता के एक चूचे को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार को चबा रहा हो। मेरी जीभ उसके निप्पल को चाट रही थी, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उसके दूसरे चूचे को अपनी उंगलियों से मसला, और उसके गुलाबी निप्पल को खींचकर उसकी चीखें निकाल दीं। कविता ने मेरी जींस उतार दी, और मेरा 8 इंच का मोटा, काला लंड उसके सामने तन गया। उसकी आँखें चुदास से चमक उठीं। “राहुल, तेरा लंड मेरी चूत को चोदने के लिए बना है,” उसने मादहोश होकर कहा, और मेरे लंड को अपने रसीले होंठों में लिया। वह मेरे लंड को गहराई तक चूस रही थी, और मेरी सिसकारियाँ निकल रही थीं। मैंने उसके बाल पकड़कर उसका मुँह अपने लंड पर और जोर से दबाया, और वह मेरे लंड को चाट रही थी।
मैंने कविता को बिस्तर पर लिटाया और उसकी जाँघें चौड़ी कीं। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया, और मेरी जीभ उसकी चूत के दाने को चूस रही थी। कविता अपनी गांड को हिलाकर मेरा मुँह अपनी चूत में और गहरा दबा रही थी। उसकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “राहुल… मेरी चूत को चोद… इसे फाड़ दे,” उसने चुदास में चीखते हुए कहा। मैंने अपना मोटा, काला लंड उसकी गीली चूत में डाल दिया, और कविता चीख पड़ी। मेरा लंड उसकी चूत को चीर रहा था, लेकिन दर्द जल्दी ही मादक सुख में बदल गया। मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा, और उसके चूचे हर धक्के के साथ उछल रहे थे।
मैंने उसकी गांड को हिलाकर मेरा लंड और गहरा लिया, और उसकी सिसकारियाँ पूरे घर में गूँज रही थीं। मैंने उसके चूचियों को मसला, उसके निप्पलों को चूसा, और उसकी चूत को अपने लंड से रगड़ने लगा। उसकी चूत से रस टपक रहा था, और मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जा रहा था। “राहुल… मेरी चूत को और जोर से चोद… इसे सुजा दे,” कविता ने चुदास में चीखते हुए कहा। मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी गोल गांड को थप्पड़ मारते हुए अपना लंड उसकी चूत में फिर से डाल दिया। मेरा लंड उसकी चूत को चीर रहा था, और वह चुदास में चीख रही थी। मैंने उसकी गांड के छेद को अपनी उंगली से सहलाया, और फिर धीरे-धीरे अपना मोटा लंड उसकी गांड में डाल दिया। कविता दर्द और सुख में चीख पड़ी, लेकिन उसकी गांड ने मेरे लंड को गले लगा लिया।
मैं उसकी गांड को जमकर चोद रहा था, और उसके चूचे हवा में उछल रहे थे। “राहुल… मेरी गांड को चोद… मेरी चूत को फाड़ दे,” कविता ने चुदास में चीखते हुए कहा। मैंने उसके चूचियों को मसला, उसकी गांड को थप्पड़ मारे, और उसकी चूत और गांड को बारी-बारी चोदा। उसकी चूत बार-बार झड़ रही थी, और उसका रस मेरी जाँघों पर टपक रहा था। चुदाई का दौर घंटों चला। मैंने कविता को अलग-अलग पोजीशन में चोदा। एक बार मैंने उसे दीवार के सहारे खड़ा किया और उसकी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से धक्के मारे। उसके चूचे हवा में उछल रहे थे, और उसकी चीखें कमरे में गूँज रही थीं। फिर मैंने उसे अपनी गोद में बिठाया और उसकी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से उछाला। उसके निप्पल मेरे मुँह में थे, और मैं उन्हें चूस रहा था।
“राहुल, मैं तेरी चूत में झड़ने वाला हूँ,” मैंने गुर्राते हुए कहा। “हाँ, राहुल… मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दे,” कविता ने चुदास में चीखते हुए कहा। मैंने अपने धक्के और तेज किए, और फिर अपने गर्म, गाढ़े वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में मारी। कविता सुख से चीख पड़ी, और उसकी चूत मेरे वीर्य से लबालब भर गई। मैंने उसके चूचियों, रसीले होंठों, और पूरे बदन पर अपना वीर्य छोड़ा, और उसने उसे अपनी जीभ से चाट लिया। उसका बदन मेरे वीर्य से गीला और चिपचिपा हो गया था। हम दोनों हाँफ रहे थे, और उसकी चूत और गांड चुदाई से सुज गई थी।
उस रात के बाद, कविता मेरी चुदास की गुलाम बन गई। हर बार जब मौसी और मामा घर पर नहीं होते, मैं कविता को चोदने के लिए उनके घर जाता। एक बार मैंने उसे रसोई में चोदा। उसने एक टाइट टॉप और शॉर्ट्स पहने थे, और मैंने उसे काउंटर पर झुकाकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। वह चुदास में चीख रही थी, और उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गई। दूसरी बार, मैंने उसे बाथरूम में चोदा। मैंने उसे शावर के नीचे खड़ा किया और उसकी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से चोदा। पानी उसके चूचों पर टपक रहा था, और उसकी सिसकारियाँ बाथरूम में गूँज रही थीं।
कभी-कभी, हम रात में उसके कमरे में चुदाई करते। एक रात, मैंने कविता को अपने लंड पर बिठाया और उसकी चूत को जोर-जोर से चोदा। उसने मेरे लंड को चूसकर मुझे और उत्तेजित किया, और फिर मैंने उसकी गांड में अपना लंड डालकर उसे चरम सुख दिया। उसकी चीखें और सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “राहुल, तेरा लंड मेरी चूत की जान है,” उसने फुसफुसाया। मैंने उसकी चूचियों को सहलाया और बोला, “कविता, तेरी चूत मेरे लंड की रानी है।”
हमारी चुदाई का कोई हिसाब नहीं था। मौसी और मामा को कभी शक नहीं हुआ, क्योंकि हम चुपके से अपनी चुदाई का खेल खेलते थे। एक बार, जब मैं कविता की चूत को चोद रहा था, मौसी ने अचानक फोन किया। मैंने फोन उठाया, और कविता ने मेरे लंड को अपनी चूत में और गहरा लिया। मैं सिसकारियों को दबाते हुए मौसी से बात कर रहा था, और कविता की चूत मेरे वीर्य से भर रही थी। “राहुल, तुम ठीक हो ना?” मौसी ने पूछा। मैंने हाँफते हुए कहा, “हाँ, मौसी… मैं बहुत खुश हूँ।” फोन रखते ही मैंने कविता की गांड में अपना लंड डाला, और उसकी चीखें फिर से गूँज उठीं।
कविता की चूत मेरे लंड की दीवानी थी, और मेरा लंड उसकी चूत का गुलाम। उसकी चुदाई मेरी जिंदगी का सबसे मादक अनुभव था। हर बार जब मैं उसकी चूत और गांड को चोदता, उसकी सिसकारियाँ मेरे कानों में संगीत की तरह बजती थीं। मैंने सोचा कि मेरी मौसी की लड़की कविता की चुदाई का मजा ही कुछ और है। उसकी चूत मेरे लंड की गुलाम बन चुकी थी, और हमारी चुदाई की आग कभी ठंडी नहीं हुई।