Ramu kaka ne meri choot phaad di – मेरा नाम सोनिया है, और मैं 27 साल की एक हॉट, चुदास भरी औरत हूँ। मेरा गोरा, भरा हुआ बदन, बड़ी-बड़ी चूचियाँ, गोल गांड, और पतली कमर किसी भी मर्द के लंड में आग लगा देता है। मेरे रसीले होंठ, गुलाबी निप्पल, और गीली चूत चुदाई का खुला न्योता देते हैं। मेरी मादक आँखें और मटकती चाल मर्दों को पागल कर देती है। मेरा पति, रवि, 32 साल का है, लेकिन उसका छोटा लंड और जल्दी झड़ने की आदत मेरी चूत की भूख को मिटाने में नाकाम रहती थी। हमारे घर में एक नौकर, रामू काका, काम करता था। रामू काका 50 साल का एक गठीला, काला मर्द था, जिसका 9 इंच का मोटा, काला लंड मेरी चूत में चुदास की सिहरन पैदा करता था। ये कहानी उस दिन की है, जब रामू काका ने मेरी चूत को अपने मोटे लंड से फाड़ दिया, और मैं उनकी चुदाई की दीवानी हो गई।
रामू काका हमारे घर में पिछले दस साल से काम कर रहा था। वह घर का सारा काम करता—झाड़ू-पोछा, बर्तन, और बगीचे की देखभाल। उसका काला, पसीने से भरा गठीला बदन और पैंट में उभरता लंड का आकार मेरी चूत को गीला कर देता था। मैं जानबूझकर टाइट साड़ी या नाइटी पहनती, ताकि मेरे चूचे और गांड उसे ललचाएँ। एक बार, जब मैं बगीचे में कपड़े सुखा रही थी, मैंने अपनी साड़ी का पल्लू गिराया, और मेरे चूचों की गहरी रेखा रामू काका के सामने आ गई। उसकी आँखें मेरे चूचों पर अटक गईं, और उसकी पैंट में उसके मोटे लंड का उभार साफ दिख रहा था। “सोनिया मेमसाब, आप तो किसी की चूत में आग लगा दें,” उसने मादक आवाज में कहा। मैंने शरारत से जवाब दिया, “रामू काका, मेरी चूत भी तुम्हारे लंड की भूखी है।” मेरी बात ने उसकी चुदास को और भड़का दिया।
एक दिन, रवि को ऑफिस के काम से तीन दिन के लिए दिल्ली जाना पड़ा। मैं घर पर अकेली थी, और मेरी चूत चुदाई के लिए तड़प रही थी। मैंने मौके का फायदा उठाने का फैसला किया। उस दोपहर, मैंने एक पतली, पारदर्शी नाइटी पहनी, जिसमें मेरे सख्त निप्पल और गीली चूत साफ दिख रहे थे। मैंने रामू काका को बगीचे से कुछ सब्जियाँ लाने को कहा। जब वह रसोई में सब्जियाँ लेकर आया, मैं जानबूझकर नीचे झुकी, और मेरी चूचियाँ उसकी आँखों के सामने उछल पड़ीं। उसकी आँखें मेरे बदन पर जम गईं, और उसकी पैंट में उसका लंड तन गया। मैंने शरारत से कहा, “रामू काका, तुम्हारा लंड तो मेरी चूत को बेकरार कर रहा है।” उसने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और बोला, “सोनिया मेमसाब, आज मैं तेरी चूत को अपने लंड से फाड़ दूँगा।”
मैंने अपनी नाइटी उतार दी, और मेरी बड़ी, नंगी चूचियाँ उसके सामने उछल पड़ीं। मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और मेरी चिकनी, गीली चूत और गोल गांड उसके सामने नंगी थी। मेरा चूत का रस मेरी जाँघों पर टपक रहा था। रामू काका ने मेरे रसीले होंठों पर एक गहरा, अश्लील चुंबन छोड़ दिया। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और उसका मोटा लंड मेरी जाँघों से टकरा रहा था। मैंने उसकी पैंट उतार दी, और उसका 9 इंच का मोटा, काला लंड मेरे सामने तन गया। उसकी नसें फूली हुई थीं, और मेरी चूत ने उसे देखकर और रस छोड़ा। मैं रामू काका के लंड की दीवानी हो गई। “रामू काका, तुम्हारा लंड मेरी चूत को चोदने के लिए बना है,” मैंने मादहोश होकर कहा।
मैंने उसके लंड को अपने रसीले होंठों में लिया और गहराई तक चूसने लगी। रामू काका की सिसकारियाँ निकल रही थीं, और उसने मेरे बाल पकड़कर मेरा मुँह अपने लंड पर और जोर से दबाया। मैं उसके लंड को चाट रही थी, और उसकी चुदास मेरे मुँह में साफ महसूस हो रही थी। रामू काका ने मुझे रसोई के काउंटर पर लिटाया और मेरी जाँघें चौड़ी कीं। उसने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटना शुरू किया, और उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी। मैं अपनी गांड को हिलाकर उसका मुँह अपनी चूत में और गहरा दबा रही थी। मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और मेरी सिसकारियाँ रसोई में गूँज रही थीं। “रामू काका… मेरी चूत को चोद… इसे फाड़ दे,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा।
रामू काका ने अपना मोटा, काला लंड मेरी गीली चूत में डाल दिया, और मैं चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, लेकिन दर्द जल्दी ही मादक सुख में बदल गया। वह जोर-जोर से धक्के मारने लगा, और मेरे चूचे हर धक्के के साथ उछल रहे थे। मैं अपनी गांड को हिलाकर उसका लंड और गहरा ले रही थी, और मेरी सिसकारियाँ पूरे घर में गूँज रही थीं। रामू काका ने मेरे चूचियों को मसला, मेरे निप्पलों को चूसा, और मेरी चूत को अपने लंड से रगड़ने लगा। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “सोनिया, तेरी चूत तो मेरे लंड की गुलाम है,” उसने गुर्राते हुए कहा। “हाँ, रामू काका… मेरी चूत को और जोर से चोद… इसे फाड़ दे,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा।
रामू काका ने मुझे काउंटर से उतारा और घोड़ी बनाया। उसने मेरी गोल गांड को थप्पड़ मारते हुए अपना लंड मेरी चूत में फिर से डाल दिया। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और मैं चुदास में चीख रही थी। उसने मेरी गांड के छेद को अपनी उंगली से सहलाया, और फिर धीरे-धीरे अपना मोटा लंड मेरी गांड में डाल दिया। मैं दर्द और सुख में चीख पड़ी, लेकिन मेरी गांड ने उसके लंड को गले लगा लिया। रामू काका मेरी गांड को जमकर चोद रहा था, और मेरे चूचे हवा में उछल रहे थे। “रामू काका… मेरी गांड को चोद… मेरी चूत को सुजा दे,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा।
उसने मेरे चूचियों को मसला, मेरी गांड को थप्पड़ मारे, और मेरी चूत और गांड को बारी-बारी चोदा। मेरी चूत बार-बार झड़ रही थी, और मेरा रस उसकी जाँघों पर टपक रहा था। चुदाई का दौर घंटों चला। रामू काका ने मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदा। एक बार उसने मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से उछाला। मेरे चूचे उसके चेहरे पर उछल रहे थे, और वह मेरे निप्पलों को चूस रहा था। फिर उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और मेरी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से धक्के मारे। मेरी चीखें और सिसकारियाँ पूरे घर में गूँज रही थीं।
“सोनिया, मैं तेरी चूत में झड़ने वाला हूँ,” रामू काका ने गुर्राते हुए कहा। “हाँ, रामू काका… मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दे,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा। उसने अपने धक्के और तेज किए, और फिर अपने गर्म, गाढ़े वीर्य की पिचकारी मेरी चूत में मारी। मैं सुख से चीख पड़ी, और मेरी चूत उसके वीर्य से लबालब भर गई। उसने मेरे चूचियों, रसीले होंठों, और पूरे बदन पर अपना वीर्य छोड़ा, और मैंने उसे अपनी जीभ से चाट लिया। मेरा बदन उसके वीर्य से गीला और चिपचिपा हो गया था। हम दोनों हाँफ रहे थे, और मेरी चूत और गांड चुदाई से सुज गई थी।
उस दिन के बाद, रामू काका मेरी चुदास का नियमित साथी बन गया। हर बार जब रवि घर पर नहीं होता, मैं रामू काका के साथ चुदाई का खेल खेलती। एक बार मैंने उसे बगीचे में बुलाया। मैंने एक टाइट साड़ी पहनी थी, और उसने मेरी साड़ी ऊपर उठाकर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। मैं एक पेड़ के सहारे झुकी थी, और वह मेरी गांड को थप्पड़ मारते हुए मेरी चूत को चोद रहा था। मेरी चीखें बगीचे में गूँज रही थीं, और मेरी चूत उसके वीर्य से भर गई। दूसरी बार, मैंने उसे बाथरूम में बुलाया। मैंने उसे शावर के नीचे खड़ा किया और उसके लंड को अपने मुँह में लिया। फिर उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और मेरी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से चोदा। पानी मेरे चूचों पर टपक रहा था, और मेरी सिसकारियाँ बाथरूम में गूँज रही थीं।
कभी-कभी, मैं रात में उसके कमरे में चली जाती। एक रात, उसने मुझे अपने बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटा। मैंने उसकी गांड को सहलाया और उसके लंड को चूसकर उसे और उत्तेजित किया। फिर उसने मेरी चूत और गांड को बारी-बारी चोदा, और मेरी चूत उसके वीर्य से चमक रही थी। रवि को कभी शक नहीं हुआ, क्योंकि मैं और रामू काका चुपके से अपनी चुदाई का खेल खेलते थे। एक रात, जब रामू काका मेरी चूत को चोद रहा था, रवि ने अचानक फोन किया। मैंने फोन उठाया, और रामू काका ने मेरी चूत में अपना लंड और तेजी से डाला। मैं सिसकारियों को दबाते हुए रवि से बात कर रही थी, और मेरी चूत रामू काका के वीर्य से भर रही थी। “सोनिया, तुम ठीक हो ना?” रवि ने पूछा। मैंने हाँफते हुए कहा, “हाँ, रवि… मैं बहुत खुश हूँ।” फोन रखते ही रामू काका ने मेरी गांड में अपना लंड डाला, और मेरी चीखें फिर से गूँज उठीं।
रामू काका का मोटा, काला लंड मेरी चूत की हर भूख मिटा देता था। उसकी चुदाई ने मुझे उसकी दीवानी बना दिया। हर रात, जब वह मेरी चूत और गांड को चोदता, मेरी सिसकारियाँ घर में गूँजती थीं। मैंने सोचा कि रामू काका ने मेरी चूत को सचमुच फाड़ दिया था, और उसकी चुदाई मेरी जिंदगी का सबसे मादक अनुभव थी। उसका लंड मेरी चूत का राजा बन गया, और मेरी चूत उसके लंड की गुलाम। रामू काका की चुदाई ने मेरी चुदास को चरम सुख की दुनिया में पहुँचा दिया।