सरहज की चुदाई की तो उसकी चूत बड़ी रसीली और चिकनी निकली – New Hindi Sex Stories

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हेल्लो दोस्तों, मैं शिवम सिंह आप सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से नॉन वेज स्टोरी का नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।

मैं सरारनपुर का रहने वाला हूँ। मेरी शादी भी यही सहारनपुर में हुई है। मेरी सरहज शीतल बहुत सी सुंदर और गजब की माल है। मेरे साले ईशान की शादी होने के बाद ही मैं उसकी बीबी और अपनी लगने वाली सरहज से खूब हँसी मजाक करने लगा। सरहज से मजाक करना तो वैसे भी जीजा लोगो का हक होता है इसलिए मैं अपने साले की बीबी शीतल के साथ खूब हँसी मजाक करने लगा। जब भी मैं अपनी ससुराल जाता तो सरहज के लिए खूब नये नये कपड़े ले जाता। मेरा साला ईशान कभी कभी मेरे उपर शक करता और मुझसे बड़ा खौफ खाता था की कहीं मैं उसकी बीबी शीतल को पटाकर चोद ना लूँ। वो मेरे पास कम ही बैठता था और कन्नी काट जाता था।

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धीरे धीरे मैं अपनी सरहज पर आसक्त होने लगा। शीतल का एक कॉलेज में एमएससी में नाम लिखवाना था, पर ऐसा जुगाड़ करना था की उसे कॉलेज ना जाना पड़ा, ना ही क्लास अटेंड करना पड़े और बस किसी तरह सिर्फ एक्साम देने जाना पड़े। मेरे साले ने मुझे फोन किया और शीतल का नाम लिखवाने को कहा।

“साले साहब… तुम फ़िक्र मत करो, मैं शीतल का नाम ऐसे कॉलेज में लिखवा दूंगा जहाँ उसे जाना ना पड़े और सिर्फ एक्साम देने जाना पड़े” मैंने हँसकर कहा। मैंने पास के एक प्राइवेट कॉलेज में बात कर ली और शीतल को अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा कर ले गया। मेरा साला तो पहले ही शक कर रहा था की कहीं मैं उसे रास्ते में कहीं चोद ना लूँ। उस दिन शीतल बड़ा टंच माल लग रही थी। अभी शादी को सिर्फ १ साल हुआ था। वो जवान और सुंदर दिख रही थी। मेरी सरहज शीतल की उम्र २३ साल की थी।

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“शीतल…..???” मैंने उसे पुकारा। वो मेरे साथ ही मेरी मोटर साईकिल पर पीछे बैठी थी।

“हा ननदोई जी…” वो बोली

“यार तुम इतनी खूबसूरत हो। मेरा उल्लू का पट्ठा साला तुम्हे रात में ले वे पाता है की नही। तुम्हारे लिए तो मेरे जैसा कोई हट्टा कट्टा तंदुरस्त आदमी होना चाहिए” मैंने शीतल को लाइन मारी। वो कुछ नही बोली।

“अरे सरहज जी…..अब हमसे भी क्या बात छिपाना!!” मैंने कहा। मैं चाहता था की वो मुझे अपनी सारी बात बताया करे।

“ननदोई जी….कभी कभी तो ये मुझे १ १ घंटे चोदते पेलते है और कभी कभी तो २ मिनट में आउट हो जाते है” शीतल बोली। मैं हँसने लगा।

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“शीतल…..कभी मुझे भी सेवा करने के मौक़ा दो” मैंने मजाक करते हुए कहा। वो सब समझ रही थी। मैं इशारों इशारों में उससे चूत मांग रहा था। वो कुछ नही बोल रही थी। ये बात सच थी की मैं अपनी खूबसूरत सरहज को कसके चोदना और पेलना चाहता था। मैं जान बूझकर मोटर साइकिल तेज चलाने लगा और कई बार गड्डो में कुदा देता तब शीतल को मजबूरन मुझे कंधे से कसकर पकड़ना पड़ता। मैं बार बार ब्रेक लगाता तो गजब की मस्त माल शीतल उछलकर मुझसे चिपक जाती। हम दोनों उस कॉलेज पहचे तो वहां अभी मैनेजर नही आया था। चपरासी ने हम दोनों को इन्तजार करने को कह दिया। अपनी सरहज शीतल को लेकर मैं एक खाली पड़े क्लासरूम में बैठ गया। अभी मई का महीना चला रहा था, इसलिए कोई बच्चे अभी कॉलेज में नही थे। मैं अपनी बहुत ही सुंदर सरहज के साथ उस मनेजर का इन्तजार करने लगा। धीरे धीरे हम बात करने लगे। वक़्त काटने के लिए ऐसा करना जरुरी था। शीतल शुरू शुरु में अपनी चुदाई वाली बाते बताने को तैयार नही थी, पर जब हम दोनों को खाली उस कमरे में इंतजार करना पड़ा तो वो मुझे सब बाते बताने लगी।

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“ननदोई जी….जिस दिन ये [शीतल का पति और मेरा साला ईशान] थोड़ी ड्रिंक कर लेते है, उस रात में तो ये जल्दी आउट ही नही होते और पूरी पूरी रात मुझे नंगा करके मेरी चूत मारते है” शीतल से बताया

“और मेरे साले का लंड कैसा है??” मैंने पूछा

“६ इंच लम्बा!!” शीतल बोली

“यही तो…..तभी तो तुमको चरम सुख नही मिल पाता है। मेरा तो १० इंच का है!!” मैंने कहा

“नही ननदोई जी ….आप मजाक कर रहे है। मैं आपको अच्छी तरह जानती हूँ….आप बहुत फेकते है। आपकी जादातर बात झूठ होती है!!” मेरी सरहज हँसकर बोली

“अरे पागल है क्या??? माँ कसम ….मेरा लौड़ा १०” का है!!” मैंने फिर कहा

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“नही….नही….आज मजाक कर रहे हो” शीतल बोली। उसे मेरी बात का विश्वास ही नही हो रहा था। मुझे तो चुदास पहले से ही चडी थी, मैंने वो कमरा अंदर से बंद कर लिया और जल्दी से पेंट खोलकर अपना १०” लौड़ा निकालकर उसके हाथ में पकड़ा दिया। शीतल की तो बोलती ही बंद हो गयी थी। वो बिलकुल चुप थी।

“अब बोल….विश्वास हुआ की नही???” मैंने शीतल से पूछा

“हाँ ननदोई जी…सच में इतना बड़ा १० इंच का लौड़ा तो मैंने आज पहली बार देखा है” शीतल बोली

बस मैंने तुरंत उसके मुंह में अपना लौड़ा दे दिया। वो मना करने लगी, पर मैंने जबरदस्ती अपना १०” का लौड़ा उसके मुंह में दे दिया। मजबूरन उसको चुसना पड़ गया। १० मिनट बाद उसका विरोध खत्म हो गया। और वो मेरा लंड हाथ में लेकर फेटने लगी और मुंह में लेकर चूसने लगी। शीतल का चेहरा तो वैसे बिलकुल गोरा गोरा लग रहा था, उसके मेकअप भी लगा रखा था। उसने अपने होठो को गहरी लाल लिपस्टिक लगा रखी थी। अपनी सरहज को चोदने का मौक़ा आज बड़े दिनों बाद मुझे मिल पाया था। मैं उसके गोल, गोरे और सुंदर से मुखड़े को मजे से चोद रहा था। कुछ देर बाद शीतल भी बहक गयी और मजे से मेरा लौड़ा मुंह में अंदर तक लेकर चूसने लगी।

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मैंने उसके सर को पकड़ लिया और जल्दी जल्दी कमर चलाकर मैंने उसके मुंह में अंदर तक चोदने लगा। धीरे धीरे हम दोनों ननदोई और सरहज बहकने लगे और शीतल भी चुदासी होने लगी। उसने कोई २० मिनट तक मेरा लौड़ा मजे से हाथ से फेट फेटकर चूसा और भरपूर मजा लिया। कुछ देर बाद मेरा माल उसके मुंह में ही छूट गया और वो मेरा सारा माल पी गयी। अब साफ था की हम दोनों के बीच चुदाई की आग जल चुकी थी। जिस बेंच पर मेरी सरहज बैठी थी, मैंने उसको उसी पर लिटा दिया और उसके ३६” के दूध को मैं मैं जोर जोर से दबाने लगा। वो “….हाईईईईई, उउउहह, आआअहह” करके सिसकने लगी। मैं और जोर जोर से उसके मम्मे अपने हाथ से दबाने लगा। हम हम दोनों की चुदाई होना लाजमी थी। मैं उसके पीले रंग के भरे पुरे सुडौल दूध के कसे ब्लाउस की एक एक ब्लाउस बटन खोलने लगा।

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“ननदोई जी……ये आप क्या कर रहे हो???” शीतल नशे में आकर बोली। वो अच्छी तरह जान रही थी की मैं उसको चोदने वाला हूँ, पर फिर भी ये बात पूछ रही थी की मैं क्या कर रहा हूँ।

“तुमको चोदने जा रहा हूँ…..और क्या” मैंने कहा

उसके बाद मेरी सरहज कुछ नही बोली। वो चुदने को राजी हो चुकी थी। मैंने उसका पिला रंग का ब्लाउस खोल दिया और ब्रा को भी निकाल दी। बाप रे उसका यौवन देख के तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था। कितनी मस्त मस्त मुसम्मी जैसी चूचियां थी उसकी। मैं तो पूरी तरह से पागल हो गया था और अपनी सरहज के बड़े बड़े मम्मो को मैं हाथ में लेकर दबाने लगा। ओह्ह्ह..हो हो कितने गदराई छातियाँ थी उसकी। जरुर मेरा साला जब शीतल की चूत लेता होगा तो सीधा स्वर्ग में पहुच जाता होगा, मैं मन ही मन सोचने लगा। उसके बाद मैं उसी कॉलेज की बेच पर लेती शीतल के उपर लेट गया और उसके बेताब और बेताग बड़े बड़े मम्मे मुंह में लेकर पीने लगा।

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शीतल“आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…” करके तडपने लगी। कहाँ आया था उसका एमएससी में नाम लिखवाने और कहाँ उसकी मस्त मस्त गोरी चूचियां पीने को मिल गयी। धीरे धीरे हम नन्ददोई और सरहज में अच्छा तालमेल बैठ गया और मैं मजे लेकर अपनी सरहज के बड़े बड़े चुचचे पीने लगा। मेरी बीबी हेमा के दूध तो बहुत ही छोटे है। मजा तो तब ही आता है जब बड़े बड़े मुसम्मी जैसे दूध पीने को मिले। भाई मजा तो तब ही आता है। मैं भी मौके पर चौका मारने लगा और शीतल के मस्त मस्त उफनते दूध मैं मुंह में लेकर चूसने लगा। मेरी नियत अब तो पूरी तरह से खराब हो चुकी थी। अब तो चाहे किसी का कत्ल ही क्यूँ ना करना पड़ जाए, पर आज शीतल की बुर जरुर चोदूंगा, मैं फैसला कर लिया। मैंने ३० मिनट तक शीतल की बड़ी बड़ी मुसम्मी मुंह में लेकर चुसी और जन्नत का मजा लिया। फिर मैंने उसकी पिली रंग की साड़ी उपर उठा दी। उसको गोरी गोरी चिकनी संगमरमर जैसे जांघे देखने को मिल गयी थी।

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मैं किसी पागल चूत के प्यासे आशिक की तरह अपनी सरहज शीतल के घुटने और जांघ को चूमने लगा। इतनी चिकनी और दूध जैसी जाघे थी की मेरा तो होश ही उड़ गया था। उपर वाले ने मेरी सरहज को बड़ी फुर्सत में बनाया था। मैं बड़ी देर तक उसकी गोरी टांगो और जांघो को चूमता और चाटना था। मुझे शीतल की चूत के दर्शन हो गये। सफ़ेद रंग की चड्डी ने उसकी चूत को अपने में छिपा रखा था। कब से मैं शीतल की बुर चोदना चाहता था, जो आज जाकर ये काम पूरा हुआ। शीतल की बड़ी सी चूत और उसकी घाटी और चूत की फाकों की परछाई मुझे सफ़ेद चड्डी ने ही दिख रही थी। मैं बड़े प्यार से अपनी उँगलियाँ शीतल की चूत पर रख दी। वो सिसक गयी।

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फिर मैं उसकी चूत को सफ़ेद चड्डी के उपर से ही चाटने लगा।“……मम्मी…मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” मैं पूरी तरह से पागल हो गया था। मुझे हर हालत में अपनी सरहज की चूत आज मारनी थी। अब तो इसे बिना चोदे मैं जरा भी जी नही सकता था। मैं मुंह लगाकर शीतल की चूत को उपर से ही चाटने लगा। धीरे धीरे मैं और जादा उग्र और आक्रामक हो गया था। धीरे धीरे शीतल भी पागल हो रही थी। मेरे होठो के चुम्बन से उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली और तर हो गयी थी। मेरी वासना की ये बस एक शुरुवात थी।

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मैं प्यार की जंग में आगे बढ़ गया और मैंने दोनों हाथों से उसकी चड्ढी पकड़कर खीच दी और घुटनों से होकर निकाल दी। मेरी सरहज शीतल अपनी चूत को छुपाने लगी। मैंने उसके हाथ हटा दिए और कुछ देर उसकी चिकनी चूत का दीदार किया। बाप रे!!…कितनी सुंदर। यही निकला मेरे मुंह से जब मैंने शीतल की चूत देखी। एक भी झाट नही। बिलकुल साफ और स्वच्छ। गुलाबी और चिकनी। बड़ी और भरी हुई। मैंने झुककर अपना मुंह शीतल के भोसड़े पर रख दिया और उसके जिस्म का सबसे सम्वेदनशील अंग मैं दिल लगाकर पीने लगा। मेरा लंड तो कबसे खड़ा हो चुका था और बिलकुल टन्न हो गया था। आज मैं शीतल को रगड़कर चोदना चाहता था।“…..ननदोई जी!!  .उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह..” शीतल चिल्ला रही थी। मैं उसके गुलाबी भोसड़े को अपने गुलाबी होठो से पी रहा था। आज तो लगा की जैसे मैं ज़िंदा हूँ, वरना इससे पहले तो खुद को मरा हुआ की पाता था।

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मैं शीतल की चूत को मजे लेकर पी रहा था और जैसे पूरा खा जाना चाहता था। वो भी पूरी तरह से चुदासी हो चुकी थी। धीरे धीरे मेरे होठो से उसके भोसड़े में कम्पन होने लगा और शीतल किसी सूखे पत्ते की तरह कांपने और फड़ फड़ाने। वो चरम सुख का अहसास कर रही थी। उसके जांघे खुल और बंद हो रही थी। वो जन्नत में उड़ रही थी। उसे मजा आ रहा था। हर औरत को अपनी चूत पिलाने में बहुत सुख मिलता है, ये बात मैं जानता था। इसलिए आज मैं शीतल को भरपूर मजा देना चाहता था। उसकी चूत धीरे धीरे अपने ही पानी से रसीली होने लगी और शीतल अपनी गांड उठाने लगी। अब वो पूरी तरह से गर्म हो गयी थी और चुदने को तैयार हो चुकी थी। मैंने अपनी पेंट निकाल दी और अपनी सरहज पर लेट गया। उसने किसी रंडी की तरह अपनी दोनों जाघे तो पहले से ही खोल रखी थी, मैंने अपना १० इंची लौड़ा उसके भोसड़े में डाल दिया और मजे से उसे चोदने लगा। कितनी अजीब बात थी हम दोनों उस कॉलेज में ही चुदाई करने लगे थे। अंदर से दरवाजा भी बंद नही था, कोई आ जाता तो।

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पर आज मुझे किसी चीज की फ़िक्र नही थी। मुझे तो बस हर हालत में अपनी सरहज की रसीली बुर चोदनी थी। मैंने उसे बाहों में भर लिया और एक बार फिर उसके रसीले होठ चूसने लगा। नीचे मेरा लौड़ा अपने काम पर लगा हुआ था और फट फट शीतल की बुर को चोद रहा था।“उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँअहह्ह्ह्हह सी सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो….” शीतल बार बार चिल्ला देती थी। मुझे उसकी सिस्कारियां बहुत मीठी लग रही थी। जितना तेज वो चिल्लाती थी, उतनी तेज मैं उसे गच्च गच्च पेल रहा था। हम दोनों की मस्त ठुकाई चल रही थी। मुझे किसी बात का डर नही था। चलो आज मेरा उसे चोदने का सपना तो पूरा हो गया। मैं अपनी सरहज के रसीले होठ पीता रहा और उसे फटाफट पेलता रहा। उसकी चूत अच्छे से चुद रही थी और मेरे लौड़े में उसका रस अच्छे से लग चुका था।

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मैंने २० मिनट शीतल को उसके रसीले होठ चूसकर चोदा और नॉट आउट रहा। फिर मैं नीचे आ गया और उसकी छलकती और मचलती मुसम्मियों को मुंह में लेकर चूसने लगा। सच में मैं बहुत किस्मत वाला था जो शीतल जैसी मस्त माल को आज चोदने का सुअवसर आज मुझे नसीब हुआ था। मैं अपनी सरहज शीतल की मुसम्मी पीते पीते उसे बजाने लगा। धीरे धीरे हम दोनों का वेग चरम सीमा को पार करने लगा। शीतल“….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ. हमममम अहह्ह्ह्हह.. अई…अई….अई…… करके चिल्ला रही थी। ये मेरी मेहनत की आवाजे थी वो शीतल निकाल रही थी। आज तो जैसे मुझे जन्नत मिल गयी थी। शीतल ने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपने गोल गोल लपलपाते चुतड वो उठाने लगी। मैं कमर मटका मटकाकर उसे पेलने लगा। आधे घंटे बाद वो मेरे साथ ही झड़ गयी। अपनी सरहज की चूत मारकर मेरी जिन्दगी स्वर्ग सी हसीन बन गयी थी। ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

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